भीष्म बन कर राष्ट्रहित बहुत देखा हमने।
हमारे आशीष से असुर को बनता देखा हमने।
ईरान-ईराक अफगान पाकिस्तान ये सब था राष्ट्र हमारा।
इनसबको अपने हाथ से जाता देखा हमने।
धर्म विमुख -कृष्ण विमुख राष्ट्रप्रेम एक धोका है
दर्योधन का पोषण करने का बस एक इन्द्रिये सुख का मौका है।
अपना धर्म न जाना हमने ,जप - तिलक -कंठी को त्यागा हमने
मांस मदिरा अति- भोगवाद से लिप्त वर्णसकंर को जन्मा हमने
भूल गीता -भूल दिनकर-भूल संतो की भाषा।
भांडगिरी बॉलीवुड को ही सबकुछ समझा हमने।
बच्चो को शादी में डी.जे पर नचवाओगे
भला ऐसे राष्ट्र बचाओगें?
करो अब महा-रण की तयारी
न छूटे कोई मेलच्छ इस बारी।
जब आप किशोर रफ़ी माइकेल को छोड़
करगे गीता -भगवता का अध्यन तभी होगा
भविष्य की पीढ़ी का निर्मल मन
पर तयारी इसकी हर घर पर करनी होगी।
कृष्ण -मति कृष्ण गति उतपन्न करनी होगी .
जब घर घर पर होगा गीता -गौ धर्म रक्षा का भाषण
तभी बचेगा प्यारा भारतराष्ट्र का शाषण